Kriya Kise Kahate Hain| क्रिया किसे कहते हैं अर्थ, परिभाषा, भेद एवं उदाहरण की चर्चा

हलो दोस्तो, आज आप इस आलेख के माध्यम से समझ पाएंगे कि ‘क्रिया किसे कहते हैं’ आपके लिए महज एक टॉपिक नहीं है क्योंकि क्रिया हिंदी व्याकरण का एक महत्त्वूर्ण हिस्सा अथवा अध्याय भी है जिसके अंतर्गत कई बिंदु छिपे हैं। उन सभी बिंदुओं को भी समझना आपके लिए अति आवश्यक है।

क्रिया को हिंदी व्याकरण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा अथवा अध्याय इसलिए भी मान जाता है क्योंकि कोई भी वाक्य बिना क्रिया के पूर्ण नहीं होता है। इसलिए आप कभी भी नहीं चाहेंगे कि ‘क्रिया किसे कहते हैं?’ टॉपिक तक सीमित रह जाएँ।

व्याकरण में कई सारे ऐसे टॉपिक्स हैं जो विद्यार्थियों को अक्सर परेशान कर जाता है। जिसके कारण कई बार परीक्षाओं में छोटी – छोटी गलतियां भी कर जाते हैं। इसी समस्या को देखते हुए आज हम इस आलेख (क्रिया किसे कहते हैं ) के अंतर्गत उन सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे। जो निम्नलिखित रूप में है :– क्रिया किसे कहते हैं (Kriya Kise Kahate Hain), क्रिया का अर्थ , परिभाषा एवं उदाहरण आदि। ताकि आप क्रिया को बारे सम्पूर्ण रूप से समझ पाएं।

क्रिया का अर्थ (Meaning of Verb)

क्रिया (Kriya) जिसका शाब्दिक अर्थ होता है ‘कार्य’ अर्थात किसी व्यक्ति व् कर्ता द्वारा किया जाने वाले कार्य ही क्रिया का बोध कराता है। यदि आप गौर करें तो समझ पाएंगे कि हमारे दिनचर्या में कई तरह के कार्य शामिल रहता है जिनमें से कुछ कार्य तो आप स्वयं (कर्ता के रूप में) पूरा कर लेते हैं तो कुछ कर्म (दूसरे व्यक्ति ) के द्वारा कार्य को पूर्ण करवाते हैं। इस प्रकार व्यक्ति अपने उद्देश्य की पूर्ति करते हैं।

क्रिया की परिभाषा (Definition of Verb)

जिन शब्दों से हमें किसी कार्य अथवा कम के होने का भाव बोध होता है उसे क्रिया  कहा जाता है।एक कर्ता के रूप में अपने दिनचर्या में अनेक कार्यों को शामिल करते हैं कुछ कार्य स्वयं करते हैं तो कुछ दूसरों से करवाते हैं। जैसे :–कूदना, नहाना, खेलना, आना, जाना आदि।

क्रिया एक विकारी शब्द है जिसके रूप, लिंग ,वचन एवं पुरुष कर्ता के अनुसार परिवर्तित होता है। क्रिया वाक्य के उदाहरण:-

  • राम पढ़ रहा है।
  • सीता खेल रही है।
  • श्याम सो रहा है।
  • माँ खाना पका रही हैं।
  • पिता जी बाजार जा रहे हैं।

क्या आप जानते हैं कि क्रिया की उतपत्ति कैसे होती है अथवा क्रिया के विभिन्न रूप कैसे बनता है? आपका उत्तर चाहे जो भी हो परन्तु आज आप इस आलेख के माध्यम से जान पाएंगे  कि क्रिया के विभिन्न रूप कैसे बनते हैं या फिर आप धातु का प्रयोग करके विभिन्न रूप कैसे बना सकते हैं ? क्रिया के विभिन्न रूप को जानने के लिए आपको क्रिया के धातु रूप की जानकारी होना अनिवार्य है।  तो आइए हम जानते हैं क्रिया के धातु रूप किसे कहते हैं ?

धातु किसे कहते हैं ? (Root word of verb)

हम सब आना, जाना , खाना , पीना, हँसाना, रोना आदि शब्दों से रोज दिन परिचित होते हैं क्योंकि ये हमारे दैनिक कार्यों में भी शामिल है। अब यदि हम इन शब्दों में से प्रत्यय के रूप में ‘ना ‘ अक्षर अथवा उपसर्ग के रूप में आ, जा, पी इत्यादि अक्षरों को हटा देते हैं तो बचे हुए शब्द ही अथवा क्रिया के मूल रूप ही धातु कहलाता है।

इन्हीं मूल रूपों में आप :– ना, नी, ने, ता, ती, ते, या, यी, ये, ऊँ, गा, गी , गे आदि प्रत्यय लगाकर क्रिया के विभिन्न रूप को बना सकते हैं। जैसे :– ना (प्रत्यय) —  जाना, खाना, पीना, पढ़ना, लिखना आदि।
ता (प्रत्यय) —  जाता, खाता, पीता, पढ़ता, लिखता आदि।
ऊँ (प्रत्यय) — जाऊँ, खाऊँ, पीऊँ, पढूँ, लिखू आदि।

धातु के चार भेद होते हैं:

सामान्य धातु | Saamaany dhaatu

क्रिया के मूल शब्दों को ही सामान्य धातु अथवा मूल धातु कहा जाता है क्योंकि यह स्वतंत्र होता है दूसरे शब्दों पर आश्रित नहीं होता है। जिसे आप निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से समझ सकते हैं। जैसे: लिख,  पढ़ , सुन, चल, गा, रुक, बोल आदि।

व्युत्पन्न धातु | Vyutpann dhaatu

जब आप सामान्य धातु अथवा धातु के मूल रूप में प्रत्यय लगाकर क्रिया शब्दों का निर्माण करते हैं। तब वह व्युत्पन्न धातु कहलाता है। जैसे: लिख +ना = लिखना, लिख +वाना = लिखवाना, लिखा +या = लिखाया आदि।

नाम धातु | Naam dhaatu

जब किसी वाक्य के संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों में प्रत्यय लगाकर क्रिया शब्द बनाया जाए तब वह नाम धातु कहलाता है।
जैसे: संज्ञा से – बात – बतियाना,  लात – लतियाना
विशेषण से – शर्म – शर्माना, गरम – गरमाना आदि।

मिश्र धातु | Mikshra dhaatu

किसी भी वाक्य में संज्ञा, विशेषण तथा क्रियाविशेषण शब्दों के बाद ‘करना’, ‘लेना’, ‘लगना’, ‘होना’, ‘आना’ आदि शब्दों के प्रयोग करने से क्रिया पद बनती है। जैसे: ‘करना’ :- काम ख़त्म होने के बाद तुम पढ़ाई करना।
 ‘लेना’ :- वहां से सामान उठा लेना।
 ‘लगना’:- पढ़ाई में मन न लगना ।
 ‘होना’:- आप दोनों की लड़ाई होना तय है।
 ‘आना’:-  घर वापस आना आदि।

क्रिया के भेद (Types of Verb)

आप में से अधिकांश विद्यार्थी सामान्य तौर पर क्रिया के दो भेद को ही पढ़ते आये हैं:- सकर्मक क्रिया एवं अकर्मक क्रिया।इस आलेख के माध्यम से आप क्रिया के अन्य भेद को भी जान पाएंगे जिसका विस्तार से व्याख्या किया गया है। अब यदि क्रिया के भेद अथवा प्रकार के बारे में बात करे तो समझ पायेंगें कि क्रिया का वर्गीकरण अथवा क्लासिफिकेशन तीन आधार पर किया गया है :–

(A) कर्म के आधार पर क्रिया का क्लासिफिकेशन
(B) प्रयोग एवं संरचना के आधार पर क्रिया का क्लासिफिकेशन
(C) काल के आधार पर क्रिया का क्लासिफिकेशन

A. कर्म के आधार पर क्रिया के भेद

कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं-: सकर्मक क्रिया  एवं अकर्मक क्रिया

A1. सकर्मक क्रिया | Transitive Verb

क्रिया का वह रूप जिसमें किसी भी कार्य का प्रभाव वाक्य में प्रयुक्त कर्ता पर न पड़कर  सिर्फ और सिर्फ कर्म पर पड़ता है तब उसे सकर्मक क्रिया कहा जाता है। अर्थात सकर्मक क्रिया में कर्म का होना उतना ही आवश्यक है जितना की क्रिया का। जैसे:- सीता खाना बना रही है ।
रमेश बाजार जा रहा है । सुरेश पानी पी रहा है आदि ।

सकर्मक क्रिया के भेद | Sakarmak Kriya Ke Bhed : पूर्ण सकर्मक क्रिया एवं अपूर्ण सकर्मक क्रिया |

A1 (i) पूर्ण सकर्मक क्रिया 

सकर्मक क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया के साथ ‘कर्म’ के अतिरिक्त किसी अन्य पूरक शब्द (संज्ञा या विशेषण) की आवश्यकता नहीं होती है, तो उस क्रिया को पूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे :-
महेश ने घर बनाया।
बच्चा पी रहा है।
कुछ छात्र पढ़ रहे थे।

पूर्ण सकर्मक क्रिया के दो भेद होते हैं :– एक कर्मक क्रिया एवं द्विकर्मक क्रिया

एक कर्मक क्रिया:  जब वाक्य में क्रिया के साथ एक कर्म प्रयुक्त हो, तो उसे एक कर्मक क्रिया कहा जाता है, अर्थात जब किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए केवल एक ही कर्म की आवश्यकता पड़े। जैसे:–राम आम खा रहा है।

द्विकर्मक क्रिया: जब किसी कार्य को समाप्त करने के लिए एक करता के साथ साथ दो कर्म (प्रधान कर्म एवं गौण कर्म )की आवश्यकता हो तब वह द्विकर्मक क्रिया कहलाता है। जैसे :– सीता ने गीता को पीट।  माँ ने खाना पकाया।      

A1(ii) अपूर्ण सकर्मक क्रिया :

सकर्मक क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया के साथ ‘कर्म’ के अतिरिक्त भी किसी न किसी पूरक शब्द (संज्ञा या विशेषण) की आवश्यकता बनी रहती हो तो, उस क्रिया को अपूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं। चार क्रियाएँ मानना, समझना, चुनना (चयन) एवं बनाना (चयन के अर्थ में) सदैव अपूर्ण सकर्मक क्रिया होती हैं।

A2. अकर्मक क्रिया | Akarmak Kriya

क्रिया का वह रूप जिसमें किसी कार्य को समाप्त करने के लिए कर्म की आवश्यकता का बोध होता है और न तो क्रिया का प्रभाव किसी अन्य पर पड़ता है बल्कि  क्रिया का पूरा प्रभाव सिर्फ और सिर्फ कर्ता पर ही पड़ता है तब उसे अकर्मक क्रिया कहा जाता है। अकर्मक क्रिया के उदाहरण:–सीता खाती है। राम बैठा है ।  

B. संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद

संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद इस प्रकार हैं:
(1) संयुक्त क्रिया
(2) नामधातु क्रिया
(3) प्रेरणार्थक क्रिया
(4) पूर्वकालिक क्रिया
(5) मूल क्रिया
(6) नामिक क्रिया
(7) समस्त क्रिया
(8) सामान्य क्रिया
(9) सहायक क्रिया
(10) सजातीय क्रिया
(11) विधि क्रिया

संयुक्त क्रिया Sanyukt Kriya
दो या दो से अधिक भिन्न भिन्न क्रियाओं के के योग से मिलकर बनी तीसरी क्रिया को ही संयुक्त क्रिया है। संयुक्त क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनों हो सकती है। जैसे :–
विद्यालय में पढ़ना लिखना होता है।
विनोद ने अपना काम किया।
रोहित ने खाना खा लिया।

नामधातु क्रिया Naam dhaatu
संज्ञा, सर्वनाम एवं विशेषण के अंत में ‘न’ प्रत्यय लगाकर शब्दों के परिवर्तन से जिस क्रिया का निर्माण होता है उसे नामधातु क्रिया कहा जाता है। सर्वनाम से बने नामधतु
जैसे : आपमें उनको अपनापन दीखता है। (अपना से अपनापन )
वह आपके भाई होकर भी परायापन दिखाता है। ( पराया से परायापन )
विशेषण से बने नामधातु
जैसे :– वह बहुत तुतलाती है (तुतला से तुतलाना)
वह बात बात पर शर्मा जाती है। ( शर्म से शर्माना )
संज्ञा से बनाए कुछ नामधातु
जैसे :– बगीचे का दृश्य बहुत ही लुभावाना है। (लोभ से लुभाना )
उसने तुम्हारी सम्पति हथिया लिया है। (हाथ से हथियाना )

प्रेरणार्थक क्रिया | Prernarthak Kriya
जिस वाक्य से आपको यह समझ में आने लगा कि कर्ता स्वयं कार्य न करके दूसरे से करवाता है अथवा कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है उसे प्रेरणार्थ क्रिया कहा जाता है। इसमें दो कर्ता होता है प्रथम जो कार्य करता है दूसरा वह जो कार्य करने के लिए प्रेरित करता हो। जिसमे प्रमुख शब्द इस प्रकार से हो सकता है :– पीटवाना , लिखवाना , पढ़वाना , कटवाना आदि।
जैसे :- राम ने सीता से पुस्तक पढ़वाया।
राजू ने चुटकी का बाल कटवाया।
मोटू ने पतलू को पिटवाया। आदि

पूर्वकालिक क्रिया | Purv Kalik Kriya
पूर्वकालिक का अर्थ होता है – पहले से सम्पन्न होना। जब किसी वाक्य में एक कर्ता द्वारा एक कार्य को सम्पन्न करने के पश्चात दूसरी कार्य में लग जाता है तो पहले सम्पन्न हुयी क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहा जाता है।
जैसे :- राम खाना खाकर सो गया।
पुजारी ने नहाकर पूजा की।
राम के पहुँचते ही बस चल पड़ी।

मूल क्रिया | Mul kriya
इसे सरल क्रिया भी कहा जाता है क्योंकि इस क्रिया का निर्माण न तो किसी अन्य क्रिया से व्युतपन हुआ है और न ही इसके निर्माण के लिए एक या एक से अधिक क्रियाओं के योग का ही जरीरत पड़ता है। भाषा में प्रचलित रूढ़ शब्दों की तरह ही इस क्रिया का भी निर्माण होता है। जिसका मूल शब्द कुछ इस प्रकार है :– आना, जाना, खाना,पढ़ना, लिखना आदि।
उदाहरण स्वरूप : राम ने खाया।
सीता गयी।
गीता पढ़ी।

नामिक क्रिया | Naamik Kriya
जब क्रिया के साथ साथ संज्ञा और विशेषण के शब्दों में बदलाव किये बिना ही उसे भी साथ लेकर चला जाए तब उसे नामिक क्रिया कहा जाता है।
जैसे :- उसका दाखिला होना।
उसे दिखाई पड़ना।
आपको सुनाई पड़ना।

समस्त क्रिया | Samast Kriya
वैसे शब्द जो दो क्रियाओं के योग से मिलाकर बना हो अथवा जब एक ही शब्द में क्रिया का बोध हो तो उसे समस्त क्रिया कहा जाता है।
जैसे :- तुमने मारपीट कर ली।
उनके बीच कहासुनी हो गयी।
वह खेलकूद कर लेता है।

सामान्य क्रिया | Samanya Kriya
क्रिया का वह रूप जब किसी वाक्य में एक ही क्रिया एवं क्रिया पद भी एक ही प्रोग किया जाए तो उसे सामान्य क्रिया कहा जाता है। जिसे आप निम्नलिखित उदहारणों के माध्यम से समझ सकते हैं। जैसे :–

• श्याम जाता है।
• राधा आई।
• विजय गया।

सहायक क्रिया |Sahayak Kriya
किसी वाक्य में मुख्य क्रिया की सहायता करने वाले पद को सहायक क्रिया कहते है।सहायक क्रिया वाक्य के काल का परिचायक होती है।
सहायक क्रिया के उदाहरण (Sahayak Kriya Ke Udaharan)
जैसे :– सीता पुस्तक पढ़ती है।
गीता खाना पकती है।
रमा खेलने गयी है।
उपर्युक्त वाक्य में पढ़ना , खेलना एवं पकाना मुख्य क्रिया है जबकि ‘है’ इनके सहायक क्रिया है जिससे काल का परिचय हो रहा है।

सजातीय क्रिया | Sajaatiy Kriya
क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया और कर्म एक ही धातु से बना हो अथवा सकर्मक और अकर्मक क्रिया के साथ उसका धातु भाव वाचक संज्ञा हो तब वह सजातीय क्रिया कहलाता है।
जैसे :- मैंने खाना खाया।
उसने लड़ाई लड़ी।
अपने अच्छी चाल चली।

विधि क्रिया | Vidhi Kriya
ऐसी वाक्य जिसमें आज्ञा वाचक शब्द का प्रयोग किया जाए तो उसे विधि क्रिया कहा जाता है।
जैसे :- आप यहाँ से चले जाओ।
मोहन इधर आओ।

प्र. क्रिया किसे कहते हैं ?

उ. जिन शब्दों से हमें किसी कार्य अथवा कम के होने का भाव बोध होता है उसे क्रिया  कहा जाता है।एक कर्ता के रूप में अपने दिनचर्या में अनेक कार्यों को शामिल करते हैं कुछ कार्य स्वयं करते हैं तो कुछ दूसरों से करवाते हैं।
क्रिया शब्द के उदाहरण :-कूदना, नाचना,पीना .

प्र. Sakarmak Kriya क्रिया किसे कहते है?

उ. क्रिया का वह रूप जिसमें किसी भी कार्य का प्रभाव वाक्य में प्रयुक्त कर्ता पर न पड़कर  सिर्फ और सिर्फ कर्म पर पड़ता है तब उसे सकर्मक क्रिया कहा जाता है। अर्थात सकर्मक क्रिया में कर्म का होना उतना ही आवश्यक है जितना की क्रिया का।
जैसे:- सीता खाना बना रही है ।
रमेश बाजार जा रहा है ।
सुरेश पानी पी रहा है आदि ।

प्र. Akarmak Kriya अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं?

उ. क्रिया का वह रूप जिसमें किसी कार्य को समाप्त करने के लिए कर्म की आवश्यकता का बोध होता है और न तो क्रिया का प्रभाव किसी अन्य पर पड़ता है बल्कि  क्रिया का पूरा प्रभाव सिर्फ और सिर्फ कर्ता पर ही पड़ता है तब उसे अकर्मक क्रिया कहा जाता है।
Akarmak Kriya Ke Udaharn अकर्मक क्रिया के उदाहरण
सीता खाती है।
राम बैठा है

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