उदास है मन- परेशान है मन !

पता नहीं  क्यूँ  उदास है मन,

पता नहीं क्यूँ परेशान  है मन।

 

कुछ पाने की लालसा ,

या कुछ खोने का डर ।

पता नहीं क्यूँ परंतु उदास है मन,

पता नहीं क्यूँ हैरान है मन।

 

आकाश में उड़ान भरने की खुशी है,

या भावी जिम्मेदारियों का डर।

पता नहीं क्यूँ , चैन में भी बेचैन हूं मैं|

इसे उम्र का तकाजा कहूँ या फिर,

जरूरत से ज्यादा मिल जाने की खुशी ?

न जाने क्यूँ  उदास है मन!

 

दुनिया की चकमक पा लेने की ख़ुशी,

या इसमें में खो जाने का डर ?

अब ये झूठी दुनिया और झूठे लोग मन को भाने लगे हैं क्यूँ?

पता नहीं क्यूँ, उदास है मन , न जाने क्यूँ  परेशान है मन ||

 

>>>  मौलिक रचना-  कान्ति कुमारी, जे आर एफ शोध छात्रा

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