क्रोध के दो मिनट और हृदय परिवर्तन | क्रोध को काबू में रखे

एक युवक ने विवाह के दो साल बाद परदेस जाकर व्यापार करने की इच्छा पिता से कही । पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती पत्नी को माँ-बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार करने चला गया । परदेश में मेहनत से बहुत धन कमाया और वह धनी सेठ बन गया । सत्रह वर्ष धन कमाने में बीत गए … Read more

क्या है जीवन ?? क्या आपने कभी अंतरावलोकन किया कि जीवन क्या है!

मुझे लगता है आपने कभी चिंतन और अंतरावलोकन की जहमत नहीं ली होगी कि जीवन क्या है? और हममे कुछ लोगों ने जहमत ली भी होगी तो आपकी चिंतन एक बिंदु पर आकर संभवतः रूक सी गयी होगी और फिर दुबारा आपने कोई कोशिश ही नहीं की। आइए एक चिन्तक की दृष्टि से एक बार … Read more

ब्यस्त रहो परन्तु हर दिन जियो- समय नहीं खरीद सकते

एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती थी। गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के भी खूब खुश थी। क्यों कि उसके मालिक, जंगल के राजा शेर ने उसे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रखा था। गिलहरी काम करते करते थक … Read more

वो पछतावे जिसे ब्रोनी वेयर ने ज्यादातर मरणासन्न लोगों में पाया

आस्ट्रेलिया की ब्रोनी वेयर (Bronnie Ware) कई वर्षों तक कोई meaningful काम तलाशती रहीं, लेकिन कोई शैक्षणिक योग्यता एवं अनुभव न होने के कारण बात नहीं बनी। फिर उन्होंने एक हॉस्पिटल की Palliative Care Unit में काम करना शुरू किया। यह वो Unit होती है जिसमें Terminally ill या last stage वाले मरीजों को admit … Read more

उदास है मन- परेशान है मन !

पता नहीं  क्यूँ  उदास है मन, पता नहीं क्यूँ परेशान  है मन।   कुछ पाने की लालसा , या कुछ खोने का डर । पता नहीं क्यूँ परंतु उदास है मन, पता नहीं क्यूँ हैरान है मन।   आकाश में उड़ान भरने की खुशी है, या भावी जिम्मेदारियों का डर। पता नहीं क्यूँ , चैन … Read more

बस एक कोशिश और – मंजिल भी तेरे इन्तजार खड़ी

आसान नहीं यूं ही मंजिल का मिलना | पर इतना मुश्किल भी नहीं, कोशिश एक और करना || माना  कि मुश्किलें  हैं हजार, पर समाधान नहीं ऐसा कभी  कहना ||   कहते हैं, हारा वही  जिसने कोशिश ही नहीं की | और जीता वही जिसने थामा है दामन बस कोशिशों की ||   सच है, … Read more

सच है, विपत्ति जब आती है- मानव जब ज़ोर लगाता है (वीर)

सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, सूरमा नही विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं; मुँह से न कभी उफ़ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं, शूलों का … Read more

हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए (कवि-दुष्यंत)

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी, शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए। हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में, हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए। सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, … Read more

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयंगे (कविता)

छोडो मेहँदी खडक संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाये बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जायेंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे| कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से, कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से| स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं वे क्या लाज बचायेंगे सुनो द्रोपदी … Read more

पचास के पार- उम्र की गिनती ही फ़िज़ूल है (कविता)

उम्र पचास के पार हुई है, शक्ल है लेकिन तीस के जैसी मुझको बूढ़ा कहने वालो, धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी| बेटे के कॉलेज गया तो टीचर, देख के मुझ को मुस्कुराई बोली क्या मेंटेंड हो मिस्टर, पापा हो, पर लगते हो भाई क्या बतलाऊँ उसने फिर, बातें की मुझ से कैसी कैसी मुझको बूढ़ा कहने … Read more